प्रकृति की अनुपम भेंट है नीम।
प्रकृति की अनुपम भेंट है नीम।
नीम के बारे में सभी जानते है नीम एक ऐसा वृक्ष है जो एशिया महाद्वीप के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के अलावा कही नहीं पाया जाता है।
श्री भगवानदास तोदी महाविद्यालय, लक्ष्मणगढ़ के वनस्पति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जितेन्द्र कांटिया ने बताया कि जब भारत में मुगलों का शासन था तब यहां एक अंग्रेज वैज्ञानिक भारत भ्रमण पर आया। तब इस नीम के बारे में पूछा तो मुगल बादशाह ने बताया कि ये आजाद दरख़्त ए हिंद है।
तो इसी नाम के आधार पे इसका वैज्ञानिक नाम एजाडरेक्टा इंडिका रखा गया।
यह मिलीएसी कुल का सदस्य है।
नीम एक ऐसा वृक्ष है जो हर प्रकार की बीमारीयो में उपयोग किया जाता हैं।
नीम कई आधुनिक व पारंपरिक औषधियों के रूप में उपयोग किया जाता हैं। यह सामान्यतः त्वचा संबंधी रोगों के उपचार में, सोराइसिस, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में तथा पाचन संबंधी रोगो के उपचार में उपयोग किया जाता है। नीम रोगाणुरोधी, सूजनरोधी तथा एंटीऑक्सीडेंट गुणों वाला वृक्ष है।
इसमें एंटीसेप्टिक और सूजनरोधी गुण होने के कारण यह त्वचा से संबंधित विभिन्न रोगों के उपचार में उपयोगी है।
नीम की पतियां, छाल का अर्क व डाली दांतुन के रूप में उपयोग की जाती हैं जिससे दांतों में कीड़े नहीं पड़ते है तथा दांत व मसूड़ों मजबूत रहते है।
यह अल्सर व घावों के इलाज के लिए भी बहुत उपयोगी हैं।
डॉ. कांटिया ने बताया कि
नीम का तेल व पतियों का अर्क बालों को बढ़ाने, रूसी दूर करने व जूओ को मारने में बहुत उपयोगी है।
यह शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। इसके अलावा यह रक्त शर्करा को नियंत्रित कर मधुमेह रोग होने से बचाता है।
यह शरीर से विषैले पदार्थों को निकालने व लीवर को ठीक करने में मदद करता है। यह मलेरिया रोग के प्रति प्रतिरोधी होता है तथा यह बुखार , जुकाम, कुष्ठ रोग व आंतों के रोग में आदि में फायदेमंद होता है। अतः नीम कावकनाशी, जीवाणुरोधी, क्रिमिनाशी, विषाणुरोधी व मलेरियारोधी होता है। नीम के पंचांग औषधीय गुणों वाले है।
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