रायपुर मोड़ बना मौत का काला धब्बा, मासूम की दर्दनाक मौत से कांप उठा इलाका
रायपुर मोड़ बना मौत का काला धब्बा, मासूम की दर्दनाक मौत से कांप उठा इलाका
नीमकाथाना ---रायपुर मोड़ अब केवल एक आम रास्ता नहीं, बल्कि एक ऐसा खतरनाक पॉइंट बन चुका है जो हर गुजरते दिन के साथ लोगों की जान का दुश्मन बनता जा रहा है। पाटन से नीमकाथाना की ओर जाते समय सबसे पहला खतरा न्यौराणा स्टैंड के पास खड़ा होता है, जहां एक ओर खदानें और दूसरी ओर क्रेशर प्लांट पर खड़े बड़े वाहनों की लंबी लाइनें देखने को मिलती हैं। सड़कों पर रोड़ी बिखरी रहती है, धूल और धुएं का ऐसा गुबार छाया रहता है कि सामने का रास्ता तक साफ़ नहीं दिखता।इन सब खतरों के बीच सबसे भयावह स्थल है रायपुर मोड़, जहां ओवरलोडेड वाहन तेज़ रफ्तार से दौड़ते हैं और जानलेवा धूलधक्कड़ पूरे वातावरण को प्रदूषित करता है। यह मोड़ कई बार दर्दनाक हादसों का गवाह बन चुका है और कल की घटना ने तो पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया।कल एक मासूम की ट्रॉले की चपेट में आकर हुई मौत ने लोगों के दिलों को दहला दिया। एक मासूम की असमय मौत ने स्थानीय लोगों को स्तब्ध कर दिया है। यह कोई पहली घटना नहीं है – रायपुर मोड़ पर पहले भी कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।स्थानीय लोगों का आरोप है कि यहां स्थित अधिकांश खदानें नीमकाथाना के विधायक सुरेश मोदी से जुड़ी हैं। ऐसे में प्रशासन की चुप्पी और निष्क्रियता पर भी सवाल उठ रहे हैं। यह इलाका अब नीमकाथाना का सबसे बड़ा माइनिंग ज़ोन बन चुका है, जहां पूरे दिन उड़ने वाली धूल और धुआं स्थानीय निवासियों को सिलिकोसिस जैसी जानलेवा बीमारियों की ओर धकेल रहे हैं।अगर समय रहते कार्यवाही नहीं की गई, तो आने वाले समय में यह क्षेत्र केवल एक माइनिंग जोन नहीं, बल्कि 'मौत का क्षेत्र' बन जाएगा।
स्थानीय जनता ने प्रशासन से मांग की है कि इस क्षेत्र में खनन और भारी वाहनों की गतिविधियों पर नियंत्रण लगाया जाए और रायपुर मोड़ को सुरक्षित बनाया जाए।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें